Success Story : वकालत छोड़ शुरू की आलू की खेती, हुए मालामाल, मिल चुका है पीएम से अवार्ड

Success Story Of Farmer : आज के इस दौर में जहां लोग खेती करने को कतराते हैं. मां बाप बच्चों को जबरजस्ती पढ़ाई करने को कहते हैं वही एक आदमी वकालत छोड़ खेती करना शुरू की और आज देश के हर एक जगह में अपना सब्जी ट्रांसपोर्ट करता है और महीना लाखों-करोड़ों कमाता है और साथ ही साथ कई अवार्ड से भी सम्मानित किए जा चुके हैं. पीएम मोदी से भी ले चुके हैं अवार्ड.

हम जिस व्यक्ति के बारे में बात कर रहे हैं उस व्यक्ति का नाम भंवरपाल सिंह है. कानपुर जिले के सरसोल ब्लॉक के महुआ गांव के रहने वाले हैं. भंवरपाल सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत करते थे. उन्होंने वकालत छोड़ खेती करनी शुरू की और आज एक बहुत ही सक्सेसफुल किसान है. भंवरपाल सिंह साल 2000 में जब उनका माता और पिता का देहांत हो गया था तब वह गांव वापस आ गए थे और तब से खेती कर रहे हैं.

इस लेख के माध्यम से आज हम आप सभी को एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने हाई कोर्ट का वकालत छोड़ खेती करना शुरू किया और आज एक बहुत ही सक्सेसफुल किसान है और साथ ही साथ कई सारे अवार्ड से भी सम्मानित किए जा चुके हैं. तो पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.

किसान की सफलता की कहानी :-

Farmer Success Story : हमें हमेशा से हमारे बड़े बुजुर्ग लोग, माता-पिता और शिक्षक यह सिखाते हैं कि अगर हम किसी भी काम को सच्चे मन और लगन से करते हैं तो हमें उसमें एक न एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है. आज मैं आप लोगों को एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताने वाला हूँ जिसने ना सिर्फ इसे सीखा है बल्कि इसे कर के दिखाया है.

कानपुर जिले के रहने वाले भंवरपाल सिंह ने हाई कोर्ट की वकालत छोड़ कर खेती करना शुरू किया और आज खुद के उपजायें हुए आलू पूरे देश में बड़े स्तर पर निर्यात करते हैं. और अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं. आज के दौर में जहां लोग खेती से भागते हैं वही इन्होंने लोगों को बताया कि किस प्रकार खेती करके नाम कमाया जाता है.

वकालत छोड़ शुरू की थी खेती :-

दुनिया में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो कि कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसका लोग कभी कल्पना भी नहीं करते हैं. कुछ लोगों का सोच ही ऐसा होता है की हमें बस यही करना है और इसी में सफलता प्राप्त करना है. आज हम आप सभी को एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बता रहे है जिन्होंने वकालत छोड़ खेती शुरू की और आज बहुत ही सक्सेसफुल है.

कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक के महुआ गांव के रहने वाले भंवरपाल सिंह ने इलाहबाद के हाई कोर्ट में कर रहे हैं वकालत को छोड़कर खेती करना शुरू किये.

2000 में जब उनके माता-पिता का देहांत हो गया था तब वह अपना गांव वापस आए और फिर कभी वकालत के लिए इलाहाबाद नहीं गए. और उन्होंने गांव में ही रह कर खेती करना शुरू किए और आज पूरे भारत में आलू निर्यात करते हैं.

ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो अपना अच्छा खासा काम छोड़कर दूसरा काम चुनते हैं. ऐसा करना हर किसी का बस का बात नहीं है. हमारे पास ऐसे ही कुछ उदाहरण है जिन्होंने अपना अच्छा खासा नौकरी छोड़ कर दूसरा काम शुरू किए और आज वे लोग उस काम में बहुत ही सफल हैं. जैसे की हम बात करें महेंद्र सिंह धोनी की अगर उन्होंने वर्ष 2001 में रेलवे का नौकरी ना छोड़कर क्रिकेट खेलना शुरू ना करते तो फिर हमें कभी भी 3-3 आईसीसी ट्रॉफी नहीं मिलता और आज शायद भारत का इतिहास क्रिकेट में कुछ और ही होता.

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आलू की खेती ने कर दिया मालामाल :-

भंवरपाल सिंह बताते हैं कि उन्होंने आलू का खेती करने का सोचा वह बताते हैं कि आलू एक ऐसा सब्जी है जिसे हर लोग हर तरह के लोग खाते हैं. हर जगह आलू खाए जाते हैं हर तरह के सब्जी में आलू मिलाया जाता है. ठेले से लेकर बड़ी-बड़ी होटल तक सभी जगह आलू के आइटम होते हैं.उन्होंने बताया कि आलू ही एक ऐसा सब्जी है जिसका डिमांड मार्केट में सबसे ज्यादा है और यही सोचते हुए उन्होंने आलू का खेती करना शुरू किया.

 उन्होंने अपने 22 एकड़ जमीन के साथ-साथ और 100 एकड़ जमीन लीज पर लिए और उसमें तरह-तरह के वैरायटी का आलू लगाना शुरू किया. वह बताते हैं कि 1 एकड़ में कम से कम 400 से 500 कुंतल आलू का पैदावार करते हैं उसका उपज होता है. प्रति हेक्टेयर वो एक से डेढ़ लाख का मुनाफा कमाते हैं. और इस तरह से वह कम से कम सालाना 1 करोड़ रुपए से अधिक मुनाफा आलू की खेती से कमाते हैं.

कई अवार्ड से हो चुके हैं सम्मानित :-

भंवरपाल सिंह जोकि कानपुर जिले के रहने वाले हैं जिन्होंने वकालत छोड़ खेती करना शुरू की उन्हें कई अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. साल 2013 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस समय उन्होंने भंवरपाल सिंह को गुजरात वैश्विक कृषि समिट में सम्मानित किए थे.

इसके साथ ही 2020 में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गोबल पोटैटो कांक्लेव गांधीनगर गुजरात में  सर्वश्रेष्ठ आलू उत्पादन के लिए भी उन्हें अवार्ड दे चुके हैं.

पूरे उत्तर प्रदेश में है पहचान :-

भंवरपाल सिंह जो आज एक बहुत ही सक्सेसफुल किसान है जो भारत में पूरे देश में आलू की बीज की निर्यात के लिए जाने जाते हैं. जिन्होंने वकालत छोड़ आलू की खेती करना शुरू की उत्तर प्रदेश के ज्यादातर लोग इन्हीं के आलू का बीज लगाते हैं.

फिलहाल भंवरपाल सिंह अपने फार्म पर कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी ज्योति कुफरी बाहर, कुफरी फ्राई सोना, कुफरी आनंदो, कुफरी पुखराज, कुफरी चिपसेना1, कुफरी अरुण, कुफरी नीलकंठो, कुफरी पुष्करो, कुफरी संगम, कुफरी सूखाती, कुफरी हलानी, कुफरी गंगा, कुफरी मोहन सहित विभिन्न प्रकार के और वैरायटी के आलू अपने खेत पर लगाते हैं और साथ ही निर्यात करते हैं.

निष्कर्ष :-

आज हमने आप सभी को अपने इस लेख के माध्यम से एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताया है जिन्होंने अपना केरियर अपना हाई कोर्ट वकालत को छोड़कर खेती करने का शुरुआत किया. और बहुत ही सक्सेसफुल किसान है. वह पूरे भारत देश में आलू का निर्यात करते हैं उन्हें कई अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी अवार्ड से सम्मानित किए हैं.

उम्मीद करता हूं आप सभी को मेरा यह लेख पसंद आया होगा और आपने इस लेख का आनंद उठाया होगा. अगर आप आगे भी इसी तरह की न्यूज़ अथवा जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस वेबसाइट पर हमेशा आते रहे.

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